यादों के अंकुर..
यादों के अंकुर..
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गिलहरियां -
अक्सर छिपा कर भूल जाती हैं
अपने संग्रहण की आदत से मजबूर
खाने के कुछ बीज मिट्टी में
और,बारिशों में हर बार उग आते हैं
कुछ नये अंकुर जंगल में
अपनी भूलने की आदत से मजबूर
भूल चुके हैं बहुत कुछ
हम-तुम भी
वक़्त की मिट्टी में दबा कर
जरा देखो,इस बारिश
शायद कोई अंकुर उग आया हो
यादों के जंगल में ।
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