हिन्दू इतिहास....

निर्विवादित रूप से हिन्दू इतिहास राजपूतों का ही रहा है।
और इतिहास रहा नहीं, बनाया था पूर्वजों ने। प्रत्येक काल मे जो अपने को सिद्ध करता है वही राज करता है। पूर्वजों ने बहुत संघर्ष करकर राज स्थापित किये। चूंकि उस जमाने मे तलवार के बल पर राज किया जाता था तो उन्होंने स्वयं को सिद्ध करके रियासते स्थापित की। सिर्फ स्थापित ही नहीं कि ,  उनको बनाये रखने के लिए पीढ़ियों की कुरबानी दी। इसीलिए इतिहास अपना रहा। अध्यात्म के क्षेत्र में भी हमारे ही पूर्वजों ने रास्ता दिखाया- रामदेव जी, पाबु जी, हडबू जी, मेहा जी,गोगा जी, तेजा जी, देवनारायण जी, पीपा जी। पर तेजाजी खिंची चौहान को जाट ले गए और देवनारायण जी सोलंकी को गुज्जर लगाए, मिहिरभोज प्रतिहार भी हमारे हाथ से चले गए, सुहेलदेव बेस पासी बन गए।

चूंकि rss और bjp हिंदुओं की राजनीति करती है, राजपूतों की नहीं । इसलिए उसका प्रोपगेंडा है कि जितने भी जननायक हुए है उनको सब हिंदुओं में बांट दो। सबको जाटों, गुज्जरों, खटिकों, कुमावतों, बलाइयों को एक एक हीरो दे दो जिससे उनमें हीन भावना नहीं आये। चूंकि राजपूत 5% है और बाकी 95% इसलिए उनका(आरएसएस,बीजेपी) हित इसीमें है कि सब जातियां खुश रहे, इसके लिए भले ही कुछ राजपूत(5% में से 1%) नाराज हो जाये, क्या फर्क पड़ता है। अपनी थ्योरी में वो भी गलत नहीं है। फर्क अपने को पड़ना चाहिए कि इनका पुरजोर विरोध करे। इतिहास में हर कदम पर पूर्वजों ने संघर्ष किया है, आज संघर्ष की बारी हमारी है। वो भी ऐसा संघर्ष जिसमें कोई मर नहीं रहा है। सिर्फ अहिंसात्मक और बौद्धिक विरोध, खुद को जिंदा रखने का।
आज भी वही स्थापित होगा जो सर्वश्रेष्ठ होगा। 
डार्विन का कथन  हर काल मे उपयोगी रहेगा- " योग्यतम की उत्तरजीवित्तता"। Politicsexpertt Vlogspot ✍️