पेशवा बाजीराव प्रथम...

"अगर मुझे पहुँचने में देर हो गई तो इतिहास लिखेगा कि एक #क्षत्रिय_राजपूत ने #मदद मांगी और #ब्राह्मण भोजन करता रहा "...........

ऐसा कहते हुए भोजन की थाली छोड़कर #बाजीराव_बल्लाल_भट्ट अपनी सेना के साथ राजा #छत्रसाल की मदद को बिजली की गति से दौड़ पड़े ।

धरती के महानतम योद्धाओं में से एक , अद्वितीय , अपराजेय और अनुपम योद्धा थे बाजीराव बल्लाल ।

शिवाजी महाराज का हिन्दवी स्वराज का सपना जिसे पूरा कर दिखाया तो सिर्फ बाजीराव बल्लाल भट ने ।

दरअसल जब औरंगजेब के दरबार में अपमानित हुए #वीर_शिवाजी आगरा में उसकी कैद से बचकर भागे थे तो उन्होंने एक ही सपना देखा था, पूरे मुगल साम्राज्य को कदमों पर झुकाने का ।

अटक से कटक तक , कन्याकुमारी से सागरमाथा तक केसरिया लहराने के सपने को पूरा किया ब्रह्मर्षि बाजीराव पेशवा प्रथम ने ।

इतिहास में शुमार अहम घटनाओं में एक यह है कि दस दिन की दूरी बाजीराव ने केवल पांच सौ घोड़ों के साथ 48 घंटे में पूरी की, बिना रुके, बिना थके ।

देश के इतिहास में ये अब तक दो आक्रमण ही सबसे तेज माने गए हैं । एक अकबर का फतेहपुर से गुजरात के विद्रोह को दबाने के लिए नौ दिन के अंदर वापस गुजरात जाकर हमला करना और दूसरा बाजीराव का दिल्ली पर हमला ।

बाजीराव दिल्ली तक चढ़ आए थे और आज जहां तालकटोरा स्टेडियम है वहां डेरा डाल दिया...........उन्नीस-बीस साल के उस युवा ने मुगल ताकत को दिल्ली और उसके आसपास तक समेट दिया था ।

तीन दिन तक दिल्ली को बंधक बनाकर रखा । मुगल बादशाह की लाल किले से बाहर निकलने की हिम्मत ही नहीं हुई । यहां तक कि मुगल बादशाह और औरंगजेब का नाती दिल्ली से बाहर भागने ही वाला था कि उसके लोगों ने बताया कि जान से मार दिए गए तो सल्तनत खत्म हो जाएगी और तब जाकर वह लाल किले के अंदर ही किसी अति गुप्त तहखाने में छिप गया ।

बाजीराव मुगलों को अपनी ताकत दिखाकर वापस लौट गए ।

हिंदुस्तान के इतिहास के #बाजीराव_बल्लाल_भट्ट अकेले ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपनी मात्र 40 वर्ष की आयु में 39 बड़े युद्ध लड़े और एक भी नहीं हारे। अपराजेय , अद्वितीय
बाजीराव बिजली की गति से तेज आक्रमण शैली की कला में निपुण थे जिसे देखकर दुश्मनों के हौसले पस्त हो जाते थे । 
पूरे देश का शासक एक हिंदू हो, ये उनके जीवन का लक्ष्य था और जनता किसी भी धर्म को मानती थी, बाजीराव उनके साथ न्याय करते थे ।

अगर बाजीराव बल्लाल लू लगने के कारण कम उम्र में ना चल बसते तो ना तो अहमद शाह अब्दाली या नादिर शाह हावी हो पाते और ना ही #अंग्रेज और पुर्तगालियों जैसी पश्चिमी ताकतें भारत पर राज कर पातीं ।

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