तम्मना साधना...

तम्मना साधना...




पंच तत्त्व की सन् मात्रा सें १,शब्द २, रूप३, रस ४,गंध ५,स्पर्श है । 

इनके साथ मनोयोग करने से तत्त्वों पर विजय तथा मन पर विजय प्राप्त हो सकती है

#शब्द_साधना:-

किसी घण्टे घड़ियाल पर चोट करे उसकी आवाज पर ध्यान करके सुने । ध्यान शिथिल हो जाये तब पुनः घण्टे पर चोट करे। यह मंदिर मे है घण्टे का रहस्य

किसी जल प्रपात की ध्वनि पर चित्त लगाये एवं कान मे उंगली डालकर उस ध्वनि या स्मरण बार बार करे

घडी की टिक टिक को ध्यान से सुने फिर धीरे धीरे दुर करे आवाज बन्द होने पर पुनः घड़ी को नजदीक लिये।

इस क्रिया से सुक्ष्म कर्णेन्द्रियां जागृत हो जाती है ।

भूत भविष्य कि बाते जैसे कर्णपिशाचिनी कहती है । वैसे अनुभव होने लगते है । यह आकाश तत्त्व प्रधान है ।

#रूप_साधना:-

अपने ईष्टदेव की प्रतिमा का अंग ,प्रत्यंग, अलंकार, सहित दर्शन की छवि ह्रदय मे स्थापित करे तथा "ॐ" कि जप करे। ध्यान शिथिल होने पर पुनः करे।

किसी मनुष्य का ध्यान उसके कष्ट निवारण, विचार बदलने ,बुरी आदत छुड़ाने, शाप, आशिर्वाद देने हेतु करें।

छाया पुरूष  की सिद्धि हेतु मनुष्य अपनी लम्बाई ये समान दर्पण मे अपनी आकृति को देखे फिर नेत्र बंद कर अपनी आकृति का स्मरण करे। ध्यान शिथिल होने पर पुनः करे। सुर्य ये प्रकाश से अपनी छाया पर त्राटक व ध्यान करे। तैल घी मे भी अपनी छाया पर प्रयोग कर सकते है ।

प्रारंभ मे यह छाया पुरुष अपने आस पास फिरता या आकाश मे उड़ा महसूस होगा परन्तु बाद मे नियन्त्रण होने पर सुक्ष्म शरीर की तरह काम करता है। यह अग्नि तत्त्व प्रधान है ।

#रस_साधना:-

यह जलतत्तव व स्वाद प्रधान है । आपको स्वादिष्ट पदार्थ ही जिह्वा के अग्रभाग पर एक मिनट तक रखे फिर उसके स्वाद का स्मरण बिना खाये करता रहे।२ मिनट बाद पुनः स्वाद की सीमा बढाते जाये। फिर केवल मात्र भावना से इच्छित वस्तु का स्वाद महसूस होगा। इस क्रिया से योगी जन बिना अन्ना जल को भी रह सकते है । वह साधक दुसरे के लिए भी इच्छित वस्तुएँ आकाश से मंगा कर दे सकता है ।

गन्ध साधना:-

यह पृथ्वी तत्त्व प्रधान है । इसकी सिद्धि के लिए नासिका  के अग्रभाग पर त्राटक करे। दाहिने नेत्र द्वारा नाक को दाहिने हिस्से को तथा बांयी नासिका पर एक एक मिनिट पॉच बार त्राटक करे। इस त्राटक के बाद सुगंधित पुष्प लेने एक मिनिट तक सुघें फिर पुष्प को फेंक दे तथा दो मिनट तक पुष्प की सुगंध भावना का स्मरण करे पुनः दुसरे पुष्प को लेकर यही क्रम करे। इससे मन सी एकाग्रता बढकर भविष्य का आभास  होने लगता है ।

#स्पर्श_साधना:-

यह वायु प्रधान है । बर्फ या अन्य शीतल वस्तु को शरीर पर एक मिनिट तक रखकर हटा देवे फिर उस ठण्ड को भावनात्मक दो मिनट तक स्मरण करे । गर्म वस्तु पर भी एक मिनट स्पर्श कर दो मिनट स्मरण करे।

 समतल भूमि पर गद्दी बिछाकर आराम से लेटे। फिर गद्दा  हटाकर कठोर भूमि पर लेटकर उसी मुलायम गद्दे सी भावना करे पुनः यह क्रिया करें । स्पर्श साधना से तितिक्षा सिद्धि मिलती है। इससे मस्तिष्क के ज्ञान तंत्र का विकास होता है । किसी पीडा कि अनुभूति नही होती है ।  Politicsexpertt Vlogspot