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दान क्या है? दान के विषय मे कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी - 



दान एक ऐसा कर्म  है। जो इस धरा पर सारे धर्म के लोग मानते है. विविध धर्मावलम्बी अपने अपने धर्म और मत अनुसार दान करते है,  इसका नाम अलग अलग धर्म, जाती, भाषा में अलग अलग है, पर धर्म से साध्य,  अपनी अपनी सोंच अनुसार हर मतावलम्बी  के लिए एक सामान होता है।


इस कर्म को सनातन धर्म में दान, इस्लाम में जकात और ईसाईयों में चैरिटी. कहते है।


छान्दोग्य  उपनिषद अनुसार धर्म के तीन घटक है, त्याग, ज्ञानार्जन और दान. 


दान : हमारे वैदिक (सनातन) धर्म में दान की प्रथा वैदिक समय से ही चली आ रही है, रिग वेद में भी दान का उल्लेख मिलता है।


रिग वेद में दान तीन प्रकार के बताये है.

 १. सात्विक दान, २. राजसी दान और ३. तामसिक दान


सात्विक दान - 


शुभ समय, तीर्थ स्थल और वेदज्ञ को बिना किसी अभिलाषा और आकांक्षा के दिया हुआ दान ,  सात्विक कहलाता है, समय काल के बदलाव को देखते हुए, वर्तमान में शुभ समय, तीर्थ स्थल , या स्वयं के निवास स्थल पर वेदज्ञ या किसी जरूरतमंद योग्य व्यक्ति को बिना किसी अभिलाषा और आकांक्षा के दिया हुआ दान भी सात्विक कहलाता है। 


राजसिक दान - 


किसी कारण, अपनी दुविधाओं को टालने के लिए , कुछ पाने की चाह में किया हुआ दान, या फिर नाम के लिए, या जग दिखावे के लिए किया हुआ दान, चाहे किसी को भी दिया गया हो   राजसिक दान की श्रेणी में आता है।


तामसिक दान - 


असमय , अवांछित, अयोग्य को अभद्रता से दिया हुआ दान तामसिक दान कहलाता है।


*भगवद्गीता  १७ वे अध्याय २८ व श्लोक में भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते है , की बिना श्रद्धा यज्ञ में दी हुई आहुति, या बिना श्रद्धा दीया गया दान , या बिना श्रद्धा लिया गया दान फलित नहीं होते।


*तैत्तरीय उपनिषद अनुसार मन की गहराइयों से प्रफुलीत हो श्रद्धावान होते हुए दान देना चाहिए।*


ऐसे तो दान हर वास्तु का हो सकता है, पर हम इन सबको कुछ इस तरह कह सकते है १. द्रव्य दान २. धातु दान ३. भूदान ४. नित्य उपयोग में आने वाली वास्तु का दान ५. गृहस्थ जीवन में काम में आने वाली वस्तुओं का दान  ६ .अनाज का दान ७. गौ दान ८. अन्न दान ९. अभय / क्षमा दान १०.  जीवन दान ११. कन्या दान १२. विद्या / ज्ञान दान*


दान में त्याग की भावना होती है. दान दी हुई वस्तु पर अपना कोई  अधिकार नहीं होता, जबकि सौंपी हुई वस्तु पर अपना अधिकार बना रहता है, ऐसे ही कन्या दान में विवाह के समय पवित्र अग्नि की साक्षी में वर से कन्या की पूर्ण देखभाल का वचन लेकर कन्या का दान करने पर कन्या पर अपना, मातृ परिवार का , अधिकार नहीं रहता पर अपनत्व की भावना,  ममत्व का लगाव बना रहता है। 


दूसरे दानो में दान लेने वाले और दान देने वाले के दान लेने और देने का बाद कोई सम्बन्ध कोई व्यवहार नहीं रहता. पर कन्या दान में  कन्या दान के पश्चात दोनों परिवारों में और  कन्या  की अगली दो पीढ़ियों तक सम्बन्ध बना रहता है। 


१ -     द्रव्य दान

२ -    धातु दान

३ -    भूदान

४ -  नित्य उपयोग में आने वाली वास्तु का दान

५ -  गृहस्थ जीवन में काम में आने वाली वस्तुओं का दान

६ -  अनाज का दान

७  - गौ दान. 


इन दानो को अपनी अपनी सामर्थयता अनुसार देना बड़ा आसान और सरल होता है,  इस में दान ग्रहण करने वाले को और उसके परिवार को सामयिक तौर पर संतृप्ति मिल सकती है।


८- अन्न दान : इस दान में सिर्फ ग्रहण कर्ता की उस समय की भूख से संतुष्टि मिलती है।


९ - अभय / क्षमा दान इस दान में दान ग्रहण कर्ता शांतिपूर्वक बिना किसी भय , संकोच और ग्लानि के जी सकता है. पर यही दान देना सबसे कठिन है,  इस दान को देने में कही कोई आर्थिक हानि नहीं, हर कोई देने के काबिल होता है, पर यह दान कोई देता नहीं है।


१० - जीवन दान , यह दान देने का अधिकार हर एक को नहीं, यह दान सर्व जगत नियन्ता भगवान दे सकते है, या राजा , शासक या राष्ट्र अध्यक्ष ही दे सकते है।


११ - कन्या दान , इस संसार चक्र के चलने के लिए यह दान अति महत्वपूर्ण है, कन्या दान ग्रहण करने वाले के कुल की अभिवृद्धि इस दान के ग्रहण करने से ही होती है,  दो कुलों के सम्मान का प्रतिक यह दान है.  दान करने वाले माता पिता अपने जिगर के टुकड़े को एक अनजान के हाथ दान में सौपते है,  इस दान को ग्रहण करने वाले के घर की सारि जिम्मेदारी सँभालते हुए दोनों घरों की मान , मर्यादा को संजोए रखती है,  इतर धर्मों में कन्यादान की प्रथा नहीं है, अपने अपने याने कन्या को स्वीकार करने वाला और स्वयं कन्या , या उनके अभिभावक या माता पिता के आपसी विचारों के मेल , अनुसार सौपने का रिवाज़ है, जिसकी परिणीति का उल्लेख यहाँ करना उचित नहीं।


१२ - विद्या दान / ज्ञान दान:  मेरे विचार में सबसे महत्वपूर्ण दान विद्या दान या ज्ञान दान है,  इस दान को ग्रहण करने वाला पुरे परिवार का निर्वाह , और स्वयं के साथ साथ परिवार के आत्मसम्मान की रक्षा कर सकता है, सिर्फ विद्या और ज्ञान से धर्म,  अर्थ ,  काम और मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है।


इस समय कोरोना काल में जरूरत मंद लोगों को यथा शक्ति दान अवश्य करें।


।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो ।। 


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