TODAY STORY SPECIAL....

 ★★★बटुए की फोटो , समय उम्र के साथ बदलते रिश्ते और ये कहानी आपको अपने भगवान् के करीब ला देगी! बटुआ प्रतीक है हमारे जीवन काल का !



★वक्त के साथ उम्र के पड़ाव के साथ रिश्तों की महत्ता बदलती रही , जो वास्तविक सम्बन्ध था उस पर उन पर वह रिश्ते हावी होते गए ! पर एक सोपान जब आया तब बहुत कुछ वक्त बदल चुका था ! समय बहुत कम था लोटा ,पर काफी देर हो चुकी थी इस रिश्ते से पुनः मुलाकात होने के लिए ! अंतिम पड़ाव में भगवान् से पुनः जोड़ती कहानी !
★खचाखच भरी बस में कंडक्टर को एक गिरा हुआ बटुआ मिला जिसमे एक पांच सौ का नोट और भगवान् कृष्ण की एक फोटो थी.
★वह जोर से चिल्लाया , ” अरे भाई! किसी का बटुआ गिरा है क्या?”
★अपनी जेबें टटोलने के बाद सीनियर सिटीजन सीट पर बैठा एक आदमी बोला, “हाँ, बेटा शायद वो मेरा बटुआ होगा… जरा दिखाना तो.”
★“दिखा दूंगा- दिखा दूंगा, लेकिन चाचाजी पहले ये तो बताओ कि इसके अन्दर क्या-क्या है?”
★“कुछ नहीं इसके अन्दर थोड़े पैसे हैं और मेरे कृष्णा की एक फोटो है.”, चाचाजी ने जवाब दिया.
★“पर कृष्णा की फोटो तो किसी के भी बटुए में हो सकती है, मैं कैसे मान लूँ कि ये आपका है.”, कंडक्टर ने सवाल किया !
★अब चाचाजी उसके बगल में बैठ गए और बोले, “बेटा ये बटुआ तब का है जब मैं हाई स्कूल में था. जब मेरे बाबूजी ने मुझे इसे दिया था तब मेरे कृष्णा की फोटो इसमें थी.
★लेकिन मुझे लगा कि मेरे माँ-बाप ही मेरे लिए सबकुछ हैं इसलिए मैंने कृष्णा की फोटो के ऊपर उनकी फोटो लगा दी…
★जब युवा हुआ तो लगा मैं कितना हैंडसम हूँ और मैंने माँ-बाप के फोटो के ऊपर अपनी फोटो लगा ली…
★फिर मुझे एक लड़की से प्यार हो गया, लगा वही मेरी दुनिया है, वही मेरे लिए सबकुछ है और मैंने अपनी फोटो के साथ-साथ उसकी फोटो लगा ली… सौभाग्य से हमारी शादी भी हो गयी.
★कुछ दिनों बाद मेरे बेटे का जन्म हुआ, इतना खुश मैं पहले कभी नहीं हुआ था…सुबह-शाम, दिन-रात मुझे बस अपने बेटे का ही ख़याल रहता था…
★अब इस बटुए में मैंने सबसे ऊपर अपने बेटे की फोटो लगा ली…
★पर अब जगह कम पड़ रही थी, सो मैंने कृष्णा और अपने माँ-बाप की फोटो निकाल कर बक्से में रख दी…
★और विधि का विधान देखो, फोटो निकालने के दो-चार साल बाद माता-पिता का देहांत हो गया… और दुर्भाग्यवश उनके बाद मेरी पत्नी भी एक लम्बी बीमारी के बाद मुझे छोड़ कर चली गयी.
★इधर बेटा बड़ा हो गया था, उसकी नौकरी लग गयी, शादी हो गयी… बहु-बेटे को अब ये घर छोटा लगने लगा, उन्होंने अपार्टमेंट में एक फ्लैट ले लिया और वहां चले गए.
★अब मैं अपने उस घर में बिलकुल अकेला था जहाँ मैंने तमाम रिश्तों को जीते-मरते देखा था…
★पता है, जिस दिन मेरा बेटा मुझे छोड़ कर गया, उस दिन मैं बहुत रोया… इतना दुःख मुझे पहले कभी नहीं हुआ था…कुछ नहीं सूझ रहा था कि मैं क्या करूँ और तब मेरी नज़र उस बक्से पर पड़ी जिसमे सालों पहले मैंने कृष्णा की फोटी अपने बटुए से निकाल कर रख दी थी…
★मैंने फ़ौरन वो फोटो निकाली और उसे अपने सीने से चिपका ली… अजीब सी शांति महसूस हुई…लगा मेरे जीवन में तमाम रिश्ते जुड़े और टूटे… लेकिन इन सबके बीच में मेरे भगवान् से मेरा रिश्ता अटूट रहा… मेरा कृष्णा कभी मुझसे रूठा नहीं…
★और तब से इस बटुए में सिर्फ मेरे कृष्णा की फोटो है और किसी की भी नहीं… और मुझे इस बटुए और उसमे पड़े पांच सौ के नोट से कोई मतलब नहीं है, मेरा स्टॉप आने वाला है…तुम बस बटुए की फोटो मुझे दे दो…मेरा कृष्णा मुझे दे दो…
★लगभग 50 वर्षीय कंडक्टर की आंखे भरी हुई थी , उसे यह एक इस बुजर्ग की नही हर एक इंसान की कहानी लगी , तभी ड्राइवर ने हॉर्न से उसका ध्यान खींचा ,कंडक्टर ने फौरन बटुआ चाचाजी के हाथ में रखा और उन्हें एकटक देखता रह गया !
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